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राज्यसभा में ऐसा क्या हुआ, घर लौटते ही धनखड़ ने लिखा लेटर, उपराष्ट्रपति पद से दिया इस्तीफा?

संपादक शक्ति कुमार ✍️ 

स्वास्थ्य कारण बना वजह, या कोई खास नाराजगी,किसानों के मुद्दे पर कई बार कही थी अलग बात ?

 मानसून सत्र के पहले दिन, जब राज्यसभा में खूब हंगामा बरपा, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपना जन्मदिन संसद में मनाया, कांग्रेस खुशी मना रही थी, तो दूसरी तरफ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा देकर अचानक से माहौल बदल दिया। 

पूरा देश इस बात पर चर्चा करने लगा कि आखिर इसकी वजह क्या थी, अगर वो इस्तीफा न देते तो 10 अगस्त 2027 तक उनका कार्यकाल था. ये उनका इस्तीफा पत्र है, जिसमें लिखा है

 

“स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए डॉक्टरी सलाह के आधार पर मैंने यह फैसला किया है. आपके अटूट समर्थन और मेरे कार्यकाल के दौरान हमारे बीच बने सुखद और अद्भुत कार्य संबंधों के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू को अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करता हूं. पीएम मोदी के साथ ही मंत्रिपरिषद् का आभार व्यक्त करता हूं.”

मार्च महीने में उन्हें हृद्य संबंधी दिक्कतों को लेकर एम्स में भर्ती भी कराया गया था, लेकिन एक बात ये भी सच है कि किसानों को लेकर जगदीप धनखड़ ने कई बार ये कहा है कि सरकार को सोचना चाहिए. कई वरिष्ठ पत्रकार दावा करते हैं

 

“किसी बात को लेकर नाराजगी भी हो सकती है, क्योंकि पश्चिम बंगाल में रहकर जितना झगड़ा राज्यपाल और मुख्यमंत्री रहने के दौरान हुआ, उसके बाद उन्हें उपराष्ट्रपति बनाया गया, तो ये आसानी से हार मानने वालों में से नहीं हैं. इसलिए कोई बड़ी वजह सामने आ सकती है.”

 

हालांकि एक सच ये भी है कि उन्होंने न्यायपालिका को लेकर भी कुछ बयान दिए थे, जिस पर देश में खूब सवाल उठे थे और सदन के भीतर जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ सभापति के रूप में बैठे होते तो नारेबाजी करने वाले सासंदों को भी सोचना पड़ता था, कई बार उन्होंने सांसदों को फटकार भी लगाई, नसीहत भी दी. बीते साल तो विपक्ष ने इनके खिलाफ महाभियोग लाने की भी कोशिश की थी और इन पर कार्यवाही में पक्षपात करने का आरोप लगाया था.

 

तो क्या मानसून सत्र के पहले दिन राज्यसभा में जिस तरह से हंगामा हुआ, विपक्षी सांसदों ने नारेबाजी की, उसके बाद जगदीप धनखड़ ने ये सोच लिया कि अब बस बहुत हो गया. हालांकि एक तरफ लोकसभा जहां सिर्फ 35 मिनट चला तो वहीं दूसरी तरफ राज्यसभा में एक बिल भी पास हुआ.

लेकिन जिस तरीके से इन्होंने इस्तीफा दिया, उसके बाद से मायावती की भी चर्चा होने लगी, जैसे उन्होंने न बोलने दिए जाने पर अचानक से इस्तीफा दे दिया था और गुस्से में बाहर आ गईं थीं. लेकिन जगदीप धनखड़ की कहानी अलग है.

राजस्थान से आने वाले जगदीप धनखड़ को अब बीजेपी क्या जिम्मेदारी देने वाली है, इस पर सबकी निगाहें टिकी होंगी, क्योंकि ये पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं।

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