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कुशीनगर,खाद की कालाबाजारी पर नहीं लग रही रोक, किसान परेशान। 

एडिटर इन चीफ 

शक्ति कुमार ✍️ 

 

सरकारी दावों के बीच इस बार किसानों के लिए खेती काफी मंहगी साबित हो रही है।

 किसानों को इस बार चौतरफा मार सहनी पड़ रही है।

बिना लाइसेंस के अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं खाद बीज की दुकानो की भरमार। 

सलेमगढ ,बहादुरपुर ,तरया, अन्य कई जगहों पर लेकिन अधिकारी कुंभकर्णी निद्रा में विलीन।

 

संवाद सूत्र, कुशीनगर सलेमगढ सरकारी दावों के बिच किसानों के लिए खेती काफी मंहगी साबित हो रही है। किसानों को इस बार चौतरफा मार सहनी पड़ रही है। मौसम की मार से परेशान किसान अब खाद की कालाबाजारी से परेशान हैं।

खाद की कालाबजारी से जुड़े थोक विक्रेता मालामाल हो रहे हैं। प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होने से दुकानदार की मनमानी भी चरम पर है। खाद के अभाव में किसानों की फसल प्रभावित हो रही है। खासकर यूरिया की किल्लत का सामना किसानों को करना पड़ रहा है।

 

लेकिन सूत्रों का कहना है कि इस बार मौसम की मार के कारण खरीफ फसल की बुआई विलंब से प्रारंभ हुई। इसी दौरान किसानों को रासायनिक खाद की किल्लत का भी सामना करना पड़ा। शुरुआती दौर में डीएपी, पोटाश, यूरिया की कालाबाजारी उंचे दामों पर की जाती रही और प्रशासन सोयी रही। अब धान के बुवाई के बाद यूरिया छिड़काव की आवश्यकता है तो इसकी कालाबाजारी हो रही है। 266 रुपए में बिकने वाली यूरिया 500 में बिक रही है। किसानो बताया कि जब भी दुकान पर खाद लेने पहुंचते हैं तो पहले खाद नहीं है की बात कही जाती है। बाद में ऊंची कीमत पर खाद मिलती है। अगर खाद की किल्लत है तो खाद बाजार में नहीं मिलना चाहिये। परंतु खाद तो मिल रही है। किसान ऊंचे दाम में खाद खरीद कर खेती कर रहे हैं किसान।

 

(कमी के कारण)

 

कुछ होलसेलर दुकानदार जानबूझकर खाद की कमी पैदा करते हैं ताकि वे इसे अधिक कीमत पर बेच सकें। 

 

जमाखोरी: के वज़ह 

 

व्यापारी खाद को जमा करके रखते हैं और फिर उसे ऊंचे दामों पर बेचते हैं। 

 

 

कुछ व्यापारी खाद को सीमा पार ले जाकर बेचते हैं, जहां कीमतें अधिक मिलता हैं। 

 

 

कालाबाजारी से किसानों को खाद उचित मूल्य पर नहीं मिल पाती है, जिससे उनकी खेती प्रभावित होती है। 

 

अनाज उत्पादन में कमी के कारण,

 

खाद की कमी से अनाज उत्पादन में कमी आ सकती है, जिससे खाद्य सुरक्षा प्रभावित हो सकती है। 

 

किसानों में असंतोष: की वजह,

 

खाद की कालाबाजारी से किसानों में असंतोष और आक्रोश पैदा। 

 

प्रशासन की कार्रवाई:ना करने का कारण। 

 

प्रशासन खाद की कालाबाजारी को रोकने के लिए दुकानों और गोदामों पर छापेमारी करता है।

और उन पर सख्त कार्रवाई करना लेकिन अधिकारी मौन। जिसका नतीजा खाद के लिए आज किसान दर-दर भटक रहे हैं। 

 

उड़नदस्ते की तैनाती: केवल दिखावटी।  

 

प्रशासन खाद वितरण सहकारी केंद्रों और होलसैल के दुकानों पर निगरानी बढ़ाने के लिए उड़नदस्ते तैनात किए जाते हैं। लेकिन केवल यहा क्रोरम पूर्ति । 

 

 

खाद की कालाबाजारी एक गंभीर समस्या है, 

 

लेकिन प्रशासन चिर निद्रा में विलीन है।

 अब देखना यह लाजमी होगा कि इन अवैध करबारियों पर प्रशासन क्या कार्रवाई करती हैं।

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