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जमीन के बदले नौकरी केस: लालू यादव की अब बढ़ी मुश्किलें, राष्ट्रपति ने दी ईडी जांच की मंजूरी, RJD ने कहा- “प्रतिशोध की राजनीति।  

लालू यादव की बढ़ी मुश्किलें, राष्ट्रपति ने दी ईडी जांच की मंजूरी। 

नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें ‘जमीन के बदले नौकरी’ घोटाले में और बढ़ गई हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को इस मामले में लालू यादव के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच के लिए मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है।

यह मंजूरी 8 मई 2025 को दी गई, जिसके बाद लालू और उनके परिवार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और सख्त हो सकती है. इस घोटाले में लालू के अलावा उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, और बेटियों मीसा भारती, हेमा यादव, चंदा यादव, और रागिनी यादव भी जांच के दायरे में हैं।

क्या है ‘जमीन के बदले नौकरी’ की घोटाला?

 

यह मामला 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव केंद्र में यूपीए सरकार के तहत रेल मंत्री थे. आरोप है कि लालू ने रेलवे में ग्रुप डी के पदों पर कई लोगों को अनियमित तरीके से नौकरी दी और बदले में उनके परिवारों से सस्ते दामों पर जमीनें अपने परिवार के सदस्यों या संबंधित कंपनियों, जैसे एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड, के नाम करवा लीं. सीबीआई के अनुसार, इन जमीनों को बाजार मूल्य से कई गुना कम कीमत पर खरीदा गया, जो रिश्वत का हिस्सा थी.

उदाहरण के लिए, पटना के कुछ लोगों ने राबड़ी देवी और मीसा भारती के नाम पर जमीनें सर्किल रेट से कम कीमत पर ट्रांसफर कीं. इस मामले में सीबीआई ने 18 मई 2022 को केस दर्ज किया था, जबकि ईडी मनी लॉन्ड्रिंग के पहलू की जांच कर रही है.

ईडी और सीबीआई की कार्रवाई

 

ईडी ने इस मामले में कई बार लालू परिवार के सदस्यों से पूछताछ की है. जनवरी 2024 में लालू यादव से 10 घंटे तक पूछताछ हुई, जिसमें उनसे करीब 50 सवाल पूछे गए. तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती, और अन्य बेटियों से भी ईडी ने बयान दर्ज किए हैं।

ईडी ने लालू परिवार की 6 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की है, जिसमें बिहार और उत्तर प्रदेश की प्रॉपर्टी शामिल हैं. मार्च 2023 में ईडी ने लालू के रिश्तेदारों और करीबियों के ठिकानों पर छापेमारी की, जिसमें 53 लाख रुपये नकद, 1,900 अमेरिकी डॉलर, और 2 किलो सोना बरामद हुआ. सीबीआई ने भी इस मामले में कई चार्जशीट दाखिल की हैं, जिसमें लालू, राबड़ी, मीसा, और अन्य को आरोपी बनाया गया है।

 

राष्ट्रपति की मंजूरी का महत्व

राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ईडी अब लालू यादव के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के तहत औपचारिक रूप से मुकदमा चला सकती है. इससे पहले गृह मंत्रालय ने सितंबर 2024 में सीबीआई को लालू के खिलाफ केस चलाने की अनुमति दी थी. दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने भी ईडी की पूरक चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए लालू, तेजस्वी, और तेज प्रताप को समन जारी किया था. कोर्ट ने माना कि लालू परिवार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के पर्याप्त सबूत हैं।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

RJD ने इस कार्रवाई को “प्रतिशोध की राजनीति” करार दिया है. पार्टी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने आरोप लगाया कि बीजेपी विपक्षी नेताओं के खिलाफ जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।

वहीं, बीजेपी और जेडीयू ने इसे कानून का पालन बताया है. इस मामले की अगली सुनवाई दिल्ली कोर्ट में 15 अक्टूबर 2025 को होगी. लालू यादव और उनके परिवार के लिए यह मामला कानूनी और राजनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण है।

राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ईडी की कार्रवाई तेज हो सकती है, और नए सबूतों के आधार पर और संपत्तियां अटैच की जा सकती हैं. यह घोटाला लालू की राजनीतिक छवि को भी प्रभावित कर सकता है, खासकर बिहार में जहां RJD एक प्रमुख विपक्षी दल है।

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