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कुशीनगर,पासपोर्ट कार्यालय का केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने किया उदघाटन। 

जनपद ,कुशीनगर में 450वें डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्र का उद्घाटनः नागरिक-केंद्रित सुशासन की एक उपलब्धि। 

कुशीनगर के NRML बिल्डिंग में खुला है यह  पासपोर्ट कार्यालय।

जनपद कुशीनगर में,आज दिनांक 30.04.2025 को श्री कीर्तवर्धन सिंह, माननीय केंद्रीय राज्यमंत्री पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन, एवं विदेश मंत्रालय तथा डॉ. चंद्र शेखर पेम्मासानी, माननीय केंद्रीय राज्यमंत्री, ग्रामीण विकास मंत्रालय एवं संचार मंत्रालय के कर कमलों द्वारा उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में 450वें डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्र (पीओपीएसके) का उद्घाटन किया गया।

पासपोर्ट की सुविधा को सुलभ बनाने और भारत में सुशासन के विजन को मजबूती प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस अवसर पर , पूर्व गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह,माननीय सांसद जगदंबिका पाल, माननीय सांसद कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह, माननीय सांसद विजय कुमार दुबे, माननीय सांसद शशांक मणि त्रिपाठी, उत्तर प्रदेश विधानसभा के माननीय विधायकगण मोहन वर्मा, विनय प्रकाश गोंड, विवेकानंद पांडे, मनीष कुमार, सुरेन्द्र कुमार कुशवाहा, स्थानीय निकायों के निर्वाचित प्रतिनिधि विदेश मंत्रालय के अधिकारी गण, डाक विभाग के अधिकारी गण, कुशीनगर जिला प्रशासन और कुशीनगर पुलिस के अधिकारियों के साथ-साथ कुजीनगर के निवासी और मीडिया प्रतिनिधि उपस्थित थे।

अपने संबोधन में माननीय मंत्री जी ने इतिहास और अध्यात्म की दृष्टि से समृद्ध भूमि तथा भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थल कुशीनगर में इस सुविधा का उद्घाटन करते हुए स्वयं को गौरवान्वित महसूस किया। उन्होंने कहा कि, यह महज एक उपलब्धि नहीं है,

 

यह एक नए भारत के उस विजन को दर्शाता है जहां पर सुशासन एक कल्पना मात्र नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक के लिए एक जीवंत सच्चाई है।

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि कुशीनगर में पीओपीएसके की स्थापना इसकी सांस्कृतिक आदान-प्रदान और तीर्थयात्रा की समृद्ध बिरासत को भारत की आधुनिक वैश्विक आकांक्षाओं से जोड़ती है तथा पूरे विश्व को अपने में समाहित करने की हमारी परंपरा को प्रतिबिंबित करती है।

पीओपीएसके के परिवर्तनकारी स्वरुप पर प्रकाश डालते हुए माननीय मंत्री जी ने कहा कि काफी लम्बे समय तक पासपोर्ट प्राप्त करना अपने आप में एक यात्रा करने जैसा था लेकिन आज, कुशीनगर का कोई भी किसान, मजदूर या छात्र अपनी एक दिन की मजदूरी या मानसिक शांति को गंवाए बिना इन सेवाओं का लाभ ले सकता है।

मंत्री जी ने विदेश मंत्रालय और डाक विभाग के बीच की इस महत्वपूर्ण साझेदारी को ‘जनकल्याण के लिए सरकार के दो अंगों के एकजुट होने का जीता जागता उदाहरण’ बताया।

उन्होंने कहा कि, भारतीय डाक के विशाल नेटवर्क का लाभ उठाते हुए डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्रों ने डाकघरों को आधुनिक सुशासन के केंद्रों में परिवर्तित कर दिया है। एम-पासपोर्ट सेवा ऐप, कागज रहित दस्तावेजों के लिए डिजिलॉकर के साथ और अप्लाई फ्रॉम एनीव्हेयर योजना जैसी नवीन सुविधाओं ने पासपोर्ट प्राप्त करने की प्रक्रिया को और अधिक सरल बनाया है, जोकि इस सेवा के लोगों की जरूरतों के अनुरूप डालने के नागरिक केंद्रित दृष्टिकोण को दर्शाता है।

अपने संबोधन के अंत में, माननीय मंत्री जी ने सहयोग प्रदान करने के लिए डाक विभाग को धन्यवाद दिया और इस डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्र को कुशीनगर की जनता को समर्पित करते हुए सुलभ सेवाओं के माध्यम से नागरिकों को सशक्त बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया।

 

पीओपीएसके विदेश मंत्रालय और डाक विभाग के बीच साझेदारी का परिणाम है जिसका उद्देश्य पासपोर्ट सेवाओं को शहरी केंद्रों की सीमाओं से निकालकर आम नागरिकों तक पहुंचाना है।

37 पासपोर्ट कार्यालयों के अंतर्गत कुल 450 पीओपीएसके एवं 93 पासपोर्ट सेवा केंद्रों के साथ अब देशभर में 543 पासपोर्ट सर्विस पॉइंट्स का नेटवर्क है, जिसमें से क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय, लखनऊ के क्षेत्राधिकार में कुल 4 पासपोर्ट सेवा केंद्र एवं 33 डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्र संचालित होते हैं।

कुशीनगर का यह पीओपीएमके क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय के अंतर्गत 33वाँ डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्र होगा। वह पीओपीएसके प्रत्येक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र में पासपोर्ट सेवा पॉइंट स्थापित करने के उद्देश्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। महामारी जैसी चुनौतियों के बावजूद 543 निर्वाचन क्षेत्रों में विदेश मंत्रालय ने यह लक्ष्य हासिल कर लिया है।

 

कुशीनगर एक ऐसी जगह है जिसने सदियों से संतों, विद्वानों और साधकों को अपनी ओर आकर्षित किया है और यहाँ पर इस सुविधा की शुरुआत यह सुनिश्चित करती है कि इस क्षेत्र के लोगों की विश्व स्तर तक पहुँच उसी प्रकार हो सके जिस प्रकार विश्व की पहुँच कुशीनगर तक सुनिश्चित हुई है। यह हमारे देश के अतीत और भविष्य के बीच एक छोटा किंतु सशक्त माध्यम है ताकि इसके माध्यम से भारत ग्रहणशीलता और संपर्क का प्रकाश स्तंभ बना रहे।

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