देश में क्या कुछ बड़ा होने वाला है?

मोदी सरकार की गतिविधियाँ अचानक तेज़ हो गई हैं। सुप्रीम कोर्ट को लेकर बयानबाज़ी, बंगाल सरकार पर बढ़ती सख़्ती, कैबिनेट की आपात बैठकें, और शीर्ष संवैधानिक पदों—राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति—से मुलाक़ातें… क्या ये सिर्फ़ सामान्य प्रक्रिया है या किसी बड़े फ़ैसले की भूमिका बन रही है?
क्या संकेत दे रहे हैं हालिया घटनाक्रम?
कैबिनेट की उच्चस्तरीय बैठकें बार-बार बुलाई जा रही हैं।
प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की राष्ट्रपति से मुलाक़ात ने कई कयासों को जन्म दिया है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के तीखे और स्पष्ट राजनीतिक संकेत देने वाले बयान भी सामने आए हैं।
सुप्रीम कोर्ट के हालिया रुख और कुछ निर्णयों को लेकर सरकार के रुख़ में आक्रामकता दिख रही है।
बंगाल में केंद्रीय एजेंसियों की सक्रियता और राज्यपाल की भूमिका भी चर्चा में है।
क्या कोई बड़ा संवैधानिक या राजनीतिक फ़ैसला आने वाला है?
इस सवाल का सीधा जवाब अभी नहीं है, लेकिन जिस तरह से राजनीतिक और संवैधानिक हलचलें तेज़ हुई हैं, वह किसी बड़े घटनाक्रम की ओर इशारा कर रही हैं।